हल्द्वानी। कोरोना काल में सुशीला तिवारी अस्पताल के बाथरूम में मृत मिले रईस अहमद के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट में अस्पताल के तत्कालीन स्टाफ की लापरवाही उजागर हुई है। जांच अधिकारी ने स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई, अस्पताल का सेफ्टी ऑडिट और मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग को सौंप दी गई है। एक अगस्त 2020 को रामनगर के गूलरघट्टी निवासी रईस अहमद को कोरोना पॉजिटिव होने पर एसटीएच के वार्ड सी, बेड नंबर 18 में भर्ती किया गया था। पांच अगस्त को वह अचानक गायब हो गए। अगले दिन उनके बेटे सरफराज को पिता के गायब होने की सूचना मिली तो वह अस्पताल पहुंचा। पुलिस और स्टाफ के साथ मिलकर खोज शुरू हुई तो रईस पहले माले के एक शौचालय में बिना कपड़ों के औंधे मुंह पड़े मिले। पोस्टमार्टम में मौत की वजह बीपी और शुगर का बढ़ना बताया गया, लेकिन शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया।सरफराज ने पिता की मौत पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि शव पर चोट और घाव के निशान थे, जो संदेह पैदा करते हैं। उसने मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप की गुहार लगाई। आयोग के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच शुरू की और 15 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। रिपोर्ट कहती है कि रईस नग्न हालत में वार्ड से भूतल तक पहुंच गए, लेकिन किसी की नजर उन पर नहीं पड़ी यह बात संदिग्ध है। उनके कपड़े भी नहीं मिले। अगर वह खुद भागे होते तो मोबाइल साथ ले जाते, पर वह भी नहीं हुआ। जांच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि अस्पताल स्टाफ की लापरवाही इस हादसे की जड़ है। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि रिपोर्ट आयोग को भेज दी गई है। अब स्टाफ पर कार्रवाई, सेफ्टी ऑडिट और केस दर्ज करने की सिफारिश पर फैसला आयोग करेगा। यह मामला अब सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल बनकर खड़ा है।








