हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार से इंसानियत को शर्मसार देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत के साथ – सात स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि जिला महिला अस्पताल में गर्भवती को भर्ती नहीं किया गया, जिस कारण प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने वहीं फर्श पर बच्चे को जन्म दे दिया।
जानकारी के मुताबिक, मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर 30 सितंबर की रात जिला महिला अस्पताल लाया गया। परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर ने अस्पताल में डिलीवरी नहीं हो पाने की बात कहकर गर्भवती को भर्ती करने से मना कर दिया। परिजनों और साथ मौजूद आशा वर्कर की गुहार के बावजूद गर्भवती को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।
इस दौरान गर्भवती महिला तड़पतती रही लेकिन अस्पताल स्टाफ ने कोई मदद नहीं की। इस सब घटना क्रम के बीच पीड़िता के साथ आई आशा वर्कर ने जब स्थिति का वीडियो बनाना चाहा, तो अस्पताल कर्मियों ने उसका मोबाइल फोन छीनने का भी प्रयास किया। आरोप है कि फर्श पर महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद एक कर्मचारी ने आशा वर्कर से कहा, “तेरा मरीज है, सफाई तू ही कर। हालांकि घटना के तुरंत बाद नवजात शिशु और मां को अस्पताल में दाखिल किया गया, लेकिन तब तक अमानवीयता की तस्वीरें कैमरे में कैद हो चुकी थीं।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला फर्श पर बैठी दर्द से कराह रही है और आसपास मौजूद स्टाफ मूकदर्शक बना हुआ है। वीडियो के वायरल होने के बाद पूरे राज्य में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
मामले पर जब मीडिया ने सवाल उठाए, तो हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. आर.के. सिंह ने इसे “आशा वर्कर की साजिश” करार दिया। उनका दावा है कि महिला को रात में अस्पताल में भर्ती किया गया था और डिलीवरी भी यहीं हुई। उन्होंने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।
(नोट: यह रिपोर्ट घटनास्थल से प्राप्त प्रारंभिक जानकारी व संबंधित पक्षों के बयानों पर आधारित है। मामले की जांच जारी है।)








